अंडा कैसे जला दिया भाई, ये नहीं समझ में आया और वो भी उबालते वक्त? वो तो बिल्कुल भी नहीं समझ आया।
अच्छा समझाता हूँ, आज तक मैं यही समझता आया था कि अंडे उबालने में कभी कोई गलती नहीं हो सकती। मुझे नहीं पता था कि पानी इतनी जल्दी उड़ सकता होगा। यहाँ पानी तो उड़ा ही, उसके बाद अंडे भी जल गये, मुझे पूरा यकीन है कि अंडों में कोई खामी रही होगी । आज कल बायोटेक से कैसे अंडे बन सकते हैं किसी को पता नहीं। मेरे दिमाग में यही पिक्चर बनी हुई थी कि अंडे पानी में टनटन तब तक उबलते रहते हैं जब तक वो ठोस ना हो जाएँ। अब पत्थर जैसी ठोस चीज जलती है कभी क्या भला बताओ तो। अगर मेरा लोजिक समझ ना आया तो पत्थर जलाने का जतन करो कभी। पत्थर नहीं जलते कभी। पता नहीं कैसे जल गये। काश मैं सोने नहीं चला गया होता, न इतना वक्त जाया होता है और ना ही खाली पेट होता।